Posts

Showing posts from 2019

काल ( युग ) और उनकी विशेषताएं

           काल और उनकी विशेषताएं         _ ___________________________________ आदिकाल (743-1343)   1 .युद्धों का  सजीव वर्णन   2. आश्रय दाता राजाओं की प्रशंसा   3 .शृंगार रस की प्रधानता   4 .राष्ट्रीयता का अभाव   5 .नारी के वीरांगना रूप का चित्रण भक्ति काल (1343-1643)   1 .गुरु का महत्व  2. भक्ति भावना की प्रधानता   3 .रहस्य भावना   4 .लोक कल्याण की भावना  5 .राजाओं की प्रशंसा का बहिष्कार रीतिकाल (1643-1843)   1 .प्रकृति का उद्दीपन रूप में चित्रण   2 .यथार्थ जीवन चित्रण का अभाव   4 .अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन   5 .श्रृंगार रस की प्रधानता   6 .अलंकारिकता   आधुनिक काल (1843 - अब तक)    1 .खड़ी बोली का प्रयोग   2 .देश प्रेम की भावना   3 .छंद मुक्त कविता   4 .मानवतावादी दृष्टिकोण    5 .नारी के प्रति सम्मान का दृष्टिकोण भारतेंदु युग (1868 - 1900 )    1 .ब्रजभाषा की प्रधानता   2 .स्वदेश प्रेम की भावना   3 .समाज सुधार की भावना   4 .मानवतावादी दृष्टिकोण   5 .जन जीवन एवं उसकी समस्याओं का चित्रण द्विवेदी युग (1900 - 1922 )    1 . ब्रजभाषा के स्थान पर खड़ी बोली

'श्रवण कुमार' का चरित्र चित्रण कक्षा 11 & 12 वालों के लिए

Image
      श्रवण कुमार' का चरित्र चित्रण                'श्रवण कुमार' खण्डकाव्य के प्रमुख नायक श्रवण कुमार है, जो अपने माता पिता के साथ सरयू नदी के तट पर स्थित एक आश्रम में रहते हैं|डॉ. शिवबालक शुक्ल ने श्रवण कुमार के चरित्र को बड़ी कुशलता से चित्रित किया है, जिनके चरित्र की विशेषता निम्नलिखित हैं - मातृ-पितृ भक्त  - श्रवण कुमार एक आदर्श पुत्र है| वह अपने  माता-पिता को ईश्वर के समान मानता है और उनकी पूजा करता है| काँवर में बैठाकर, वह  उन्हें देवगृहों और विभिन्न तीर्थ स्थलों की यात्रा कराता है बिठलाकर उनको कांवर में, करता वह गुरु भार वहन | देव ग्रहो तीर्थों को जाता, सदा कराने प्रभु दर्शन || सत्यवादी - श्रावण की माता शूद्रा व पिता वैश्य थे| दशरथ द्वारा ब्रह्म हत्या की संभावना प्रकट करने पर, श्रवण कुमार बता देता है कि वे अधिक संतप्त ना हो, क्योंकि मैं ब्रह्म कुमार नहीं है वैश्य पिता माता शूद्रा थी, मैं यूं प्रदुर भूत हुआ | संस्कार के सत प्रभाव से, मेरा जीवन पूत हुआ || संस्कारों को महत्व देने वाला -  श्रवण कुमार किसी के भी प्रति भेदभाव नहीं रखता है |वह कर्मशील ए